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हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत का बड़ा महत्व है। साल में 24 एकादशी की तिथियां पड़ती हैं। प्रत्येक मास कृष्ण पक्ष में पहली व शुक्ल पक्ष में दूसरी एकादशी पड़ती है। 24 फरवरी को फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष पर विजया एकादशी थी। शुक्ल पक्ष की एकादशी 10 मार्च को रहेगी। यह रंगभरी व आमलकी एकादशी होगी। इस एकादशी का विशेष महत्व है, क्योंकि सामान्य तौर पर एकादशी पर विष्णुजी की पूजा की जाती है, लेकिन रंगभरी एक ऐसी एकादशी है, जिसमें महादेव की भी आराधना की जाती है। महादेव व माता पार्वती के पूजन का विशेष महत्व है। रंगभरी एकादशी पर सोभन योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और पुष्य नक्षत्र का संयोग रहेगा। 9 मार्च को सुबह 10:15 बजे एकादशी का प्रवेश होगा और 10 मार्च को सुबह 9:28 बजे तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार रंगभरी एकादशी का व्रत 10 मार्च को रखा जाएगा। शिशिर सुमन मिश्रा बताते हैं कि 9 मार्च को रात 1:53 बजे पुष्य नक्षत्र लगेगा और 10 मार्च को रात 2:17 बजे तक रहेगा। एकादशी के दिन प्रातःकाल से पूजा करना शुभ व लाभदायक रहेगा।
इस दिन महादेव व माता पार्वती को गुलाल और विष्णु भगवान को आंवला अर्पित करें : शिशिर सुमन मिश्रा के अनुसार रंगभरी एकादशी के दिन महादेव व माता पार्वती की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। इनको रंग, अबीर-गुलाल अर्पित करें। इससे दांपत्य जीवन में मधुरता आती है। भगवान विष्णु की पूजा करते हुए श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करें। विष्णुजी को आंवला अर्पित करें। इससे मनुष्य को परेशानी से मुक्ति मिलती है। जीवन में सुख-समृद्धि आता है। रंगभरी एकादशी पर शिवालयों में विशेष श्रृंगार किया जाएगा। इस दिन भूतनाथ बाबा की पूजा कर उन्हें रंग-अबीर अर्पित किया जाएगा।