Supreme Court सुप्रीम कोर्ट से जेटेट (JTET) पास परीक्षार्थियों के लिए बड़ी राहत है। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस आदेश को निरस्त कर दिया है जिसमें सीटेट पास अभ्यर्थियों को भी शिक्षक नियुक्ति में शामिल करने का आदेश दिया गया था। जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस राजेश बिंदल की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया है। इस परीक्षा का परिणाम आना अभी बाकी है।
राज्य ब्यूरो, रांची। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के सहायक आचार्य (असिस्टेंट प्रोफेसर ) नियुक्ति को लेकर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस राजेश बिंदल की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया है।
जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस राजेश बिंदल की खंडपीठ ने झारखंड हाईकोर्ट के उस आदेश को निरस्त कर दिया है, जिसमें सीटेट पास और पड़ोसी राज्य के टेट पास झारखंड के अभ्यर्थियों को परीक्षा में शामिल होने का निर्देश दिया था।
हाईकोर्ट के इस आदेश को जेटेट पास अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सितंबर माह में सुनवाई पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अप्रैल में झारखंड सरकार और जेएससीसी को सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बिना परिणाम प्रकाशित करने पर रोक लगा दिया था।
26001 पदों पर नियुक्ति के लिए हुई थी परीक्षा
जेएसएससी ने सहायक आचार्य के 26001 पदों पर नियुक्ति के लिए परीक्षा ली थी। हाईकोर्ट के आदेश पर इस परीक्षा में सीटेट पास अभ्यर्थी भी शामिल हुए थे। इस संबंध में परिमल कुमार और अन्य की ओर से हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी।
परिणाम प्रकाशित होना बाकी
राज्य सरकार की ओर से कहा गया था कि सहायक आचार्य की परीक्षा नियमानुसार ली गई है। अब परिणाम प्रकाशित होना बाकी है।प्रार्थी की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायण, अमृतांश वत्स और साहिल बलेख ने सुप्रीम कोर्ट में बताया गया था कि आरटीई की धारा 23 (2) और नियम दस के अनुसार राज्य की शिक्षक नियुक्ति में वहां के टेट पास अभ्यर्थियों को शामिल किया जाना है।
ताकि शिक्षक वहां की भाषा, संस्कृति और रीति रिवाज के अनुसार बच्चों को पढ़ाएंगे। झारखंड की क्षेत्रीय भाषा संताली, खोरठा आदि का ज्ञान जेटेट अभ्यर्थियों के पास है। क्योंकि उन्होंने इसकी परीक्षा दी है।लेकिन सीटेट अभ्यर्थियों के पास क्षेत्रीय भाषा के रूप में हिंदी या अंग्रेजी विषय का ही ज्ञान है। जब सीटेट शिक्षकों की नियुक्ति झारखंड के प्राथमिक स्कूलों में होगी, तो उन्हें झारखंड के स्थानीय भाषा में बच्चों को शिक्षा देने में परेशानी होगी।
झारखंड हाईकोर्ट ने 2023 में सुनाया था फैसला
झारखंड हाईकोर्ट को इस तरह का नीतिगत निर्णय लेने का अधिकार नहीं है। यह अधिकार केवल विधायिका के पास है। बता दें कि झारखंड सीटेट उत्तीर्ण अभ्यर्थी संघ की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट ने दिसंबर 2023 में फैसला सुनाया था।हाईकोर्ट ने 26001 पदों पर सहायक आचार्य की नियुक्ति परीक्षा में सीटेट पास अभ्यर्थी या झारखंड के पड़ोसी राज्य से टेट परीक्षा पास करने वाले झारखंड के निवासी अभ्यर्थियों को भी शामिल होने की अनुमति दी थी।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि अगर सीटेट अभ्यर्थियों की नियुक्ति हो जाती है तो उन्हें तीन साल के अंदर प्रथम प्रयास में ही जेटेट परीक्षा पास करनी होगी।यह भी पढ़ें-Jharkhand Job: झारखंड के युवाओं के लिए खुशखबरी, इस विभाग में निकली भर्ती
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