न कोई चुनाव जीते, न पॉलिटिकल बैकग्राउंड लेकिन मंदी से जीत का वो रिकॉर्ड… जो कनाडा में मार्क कार्नी को ट्रूडो की जगह ले आया – Mark Carney Canada new PM profile Ex central banker sails Canada through 2008 financial crisis ntcppl

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“अमेरिकियों को कोई गलतफहमी नहीं पालनी चाहिए, हॉकी की तरह, ट्रेड में भी कनाडा जीतेगा.”, ये किसी गैरराजनीतिक स्टेट्समैन का बयान तो लगता नहीं है. लेकिन कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी का रेज्यूमे बताता है कि उन्होंने कोई चुनाव नहीं जीता है. 59 साल के कनाडाई मार्क कार्नी राजनीति के मंजे खिलाड़ी नहीं बल्कि ‘ डेब्युटंट ‘ हैं. यानी कि सियासत में नया चेहरा.

हां, वे दो देशों के रिजर्व बैंकों के गवर्नर जरूर रह चुके हैं. और इकोनॉमिक्स की काबिलियत उन्हें हिसाब-किताब का धुरंधर बनाती है. 2008 की विश्व की आर्थिक मंदी से अगर आप वाकिफ हैं तो जानते होंगे कि कैसे इस संकट ने दुनिया में कोहराम ला दिया था. औद्योगिक उत्पादन में गिरावट, छंटनी, रेंगता शेयर बाजार और पुरी दुनिया में मायूसी का माहौल. तब वातावरण कुछ ऐसा ही था. 

दुनिया को बचाने वाला कनाडाई

2008 के इसी माहौल में मार्क कार्नी कनाडा के सेंट्रल बैंक के गवर्नर थे. भारत में जो भूमिक रिजर्व बैंक की है, कनाडा में ही वही रोल सेंट्रल बैंक का है. मार्क कार्नी ने 2008 के इसी संकट से कनाडा को सबसे पहले निकाला था. अपनी नीतियों और प्रबंधन क्षमता की दम पर उन्होंने करिश्मा किया और कनाडा को मंदी के चक्र से बाहर ले आए. कनाडाई पत्रिका Macleans ने उन्हें “दुनिया को बचाने वाला कनाडाई” कहा और उनकी तारीफ की. 

2008 की मंदी और मार्क की इकोनॉमिक्स 

2008 का संकट विश्व के लिए आर्थिक संकट लेकर आया. बतौर सेंट्रल बैंक गवर्नर कार्नी ने ब्याज दरों को तेजी से घटाया, जिससे उधार लेना सस्ता हुआ और व्यवसायों और उपभोक्ताओं को राहत मिली, लोगों ने लोन लिए, खर्चे किए और इकोनॉमी को रफ्तार मिली.उन्होंने कनाडाई फाइनेंशियल सिस्टम में जरूरी लिक्विडिटी बरकरार रखा. ताकि वे संकट के दौरान लेनदेन जारी रख सकें. 

कनाडा की बैंकिंग प्रणाली पहले से ही मजबूत थी, लेकिन कार्नी ने रिस्क मैनेजमेंट को और भी सख्त किया. इसकी वजह से कनाडा के बैंक दिवालिया होने से बच गए. इसके अलावा उन्होंने सरकार के साथ मिलकर आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज लागू किए, जिससे रोजगार और निवेश को बढ़ावा मिला. और कनाडा की इकोनॉमी 2008 के संकट से सबसे पहले बाहर निकली. 

बतौर कनाडा गवर्नर उनकी ये पारी इतनी सफल रही कि 2013 में ब्रिटेन ने उन्हें अपने यहां के केंद्रीय बैंक का गवर्नरशिप ऑफर कर दिया. 2013 में मार्क कार्नी बैंक ऑफ इंग्लैंड के पहले ऐसे गवर्नर बने जो कि ब्रिटेन के नागरिक नहीं थे. 1694 में बैंक ऑफ इंग्लैंड बनने के बाद ऐसा पहली बार जब एक गैर ब्रिटिश नागरिक इस बैंक का गवर्नर बना. 

कनाडा की राजनीति में 59 साल इस गैरराजनीतिक व्यक्ति की एंट्री ऐसे समय में हुई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कनाडा को यूएस का 51वां राज्य बनाने की धमकी देकर इस देश के वजूद पर ही प्रश्न चिह्न खड़ा कर दिया है. 

लेकिन नॉन पॉलिटिकल मार्क कार्नी के बयान ट्रंप के बड़बोलेपन की हवा निकालने के लिए काफी है. मार्क कार्नी ने बतौर प्रधानमंत्री अपने पहले संबोधन में कहा, ” अमेरिकियों को कोई गलतफहमी नहीं पालनी चाहिए, हॉकी की तरह, ट्रेड में भी कनाडा जीतेगा.”

आहत भावनाओं पर मरहम

लिबरल पार्टी के नेता और जस्टिन ट्रूडो के उत्तराधिकारी कार्नी ने सधे राजनेता की तरह बयान दिया, कनाडा के नागरिकों की आहत भावनाओं को सहलाया और कहा, “कोई है जो हमारी अर्थव्यवस्था को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है.डोनाल्ड ट्रम्प ने, जैसा कि हम जानते हैं, हम जो बनाते हैं, जो बेचते हैं और जिस तरह से हम अपना जीवन यापन करते हैं, उस पर अनुचित टैरिफ लगाए हैं. वह कनाडाई परिवारों, श्रमिकों और व्यवसायों पर हमला कर रहे हैं और हम उन्हें सफल नहीं होने दे सकते और हम ऐसा नहीं होने देंगे.”

कोई लड़ने के लिए उतारू ही है तो…

कार्नी ने अमेरिका को साफ मैसेज देते हुए कहा कि जब तक अमेरिका हमें ‘सम्मान’ नहीं देता है, कनाडा की ओर से जवाबी टैरिफ जारी रहेगा. कार्नी ने अपनी भाषा में धमकी का एक टोन लाते हुए कहा, “हमने ये लड़ाई शुरू नहीं की थी लेकिन जब कोई लड़ने के लिए उतारू ही है तो कनाडाई हमेशा तैयार रहते हैं.”

चुनाव नहीं जीते हैं लेकिन आगे क्या करेंगे…

कार्नी गोल्डमैन सैक्स के पूर्व कार्यकारी मार्क कार्नी ने 2003 में बैंक ऑफ कनाडा के डिप्टी गवर्नर नियुक्त होने से पहले लंदन, टोक्यो, न्यूयॉर्क और टोरंटो में 13 साल तक काम किया.

मार्क कार्नी ने कभी भी कोई निर्वाचित पद नहीं संभाला है और वे संसद के सदस्य भी नहीं हैं. अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि कार्नी किस सीट से चुनाव लड़ेंगे. हालांकि, उन्होंने घोषणा की है कि वे अगले चुनाव में हाउस ऑफ कॉमन्स की सीट के लिए प्रचार करेंगे. 

गौरतलब है कि कार्नी के सीएम बनने के बाद कनाडा में जल्द आम चुनावों का ऐलान हो सकता है. कंजरवेटिव पार्टी का ट्रूडो की पार्टी लिबरल पर जोरदार हमला जारी है. कार्नी की असली परीक्षा चुनाव के दौरान होगी जब हो जनता के सामने अपनी नीतियों के लिए वोट मांगेंगे. 

जनवरी में अपनी उम्मीदवारी की घोषणा करने के बाद से ही कार्नी को कैबिनेट मंत्रियों और संसद सदस्यों से एक के बाद एक समर्थन मिलता रहा. वह वॉल स्ट्रीट के अनुभव वाले एक उच्च शिक्षित अर्थशास्त्री हैं, वे लंबे समय से राजनीति में प्रवेश करने और प्रधानमंत्री बनने में रुचि रखते थे, लेकिन उनके पास राजनीतिक अनुभव की कमी है.

चार दावेदारों को हराया

कार्नी ने पूर्व कैबिनेट मंत्री करीना गोल्ड, पूर्व वित्त मंत्री और उप प्रधानमंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड और व्यवसायी और पूर्व लिबरल सांसद फ्रैंक बेलिस को हराया और प्रधानमंत्री की कुर्सी हासिल की. 

इस चुनाव में 151,899 लिबरल पार्टी के वफादारों ने मतदान किया, और बहुमत ने फैसला किया कि कार्नी ही वह व्यक्ति थे जिन्हें वे कनाडा के पीएम के रूप में देखना चाहते थे. इस चुनाव में मार्क कार्नी को 85.9% वोट मिले. 



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