रामनगर स्टेट की जमीन पर फर्जी दस्तावेज पर बने हैं 15 से अधिक मकान-दुकान, एडीएम ने शुरू की जांच, मचा हड़कंप

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Bihar Bhumi: रामनगर स्टेट की छपरा भगवान बाजार स्थित 2.53 एकड़ जमीन पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर तेजी से निर्माण कार्य किये जा रहे हैं. अब तक इस जमीन पर 10 से 15 एक मंजिला और दो मंजिला मकान खड़े कर लिये गये हैं. इसके अलावा लगभग 10 से 15 दुकानें भी बन चुकी हैं, जिनमें से कुछ दुकानों का निर्माण स्वयं दुकानदारों ने खुद का बनाये होने का दावा किया है, जबकि कुछ दुकानों का निर्माण तत्कालीन राजा मनमोहन विक्रम शाह उर्फ राम राजा द्वारा कराया गया था. बड़ी बात यह है कि करीब एक बीघा जमीन अभी भी खाली बची हुई है. इस जमीन पर रामनगर स्टेट का एक कार्यालय और एक कचहरी भवन भी मौजूद है, जिसका भी फर्जी दस्तावेज तैयार किया जा रहा है.

रजिस्ट्री कार्यालय से गायब हुए डीड, सौ से अधिक फर्जी दस्तावेज तैयार

वर्ष 1943 में मोतीहारी कोर्ट में हुए आपसी बंटवारे के बाद यह जमीन राम राजा की पत्नी पांचसीता महारानी के नाम चली गयी. तब से यह जमीन निर्विवाद रूप से उनके और उनके वंशजों के नाम पर दर्ज है. पांचसीता महारानी के चार पुत्र शिव विक्रम शाह, नारायण विक्रम शाह, हरि विक्रम शाह और मनमोहन विक्रम शाह हुए.

उनके बाद पौत्रों मनोहर विक्रम शाह, मधुकर विक्रम शाह, धनंजय विक्रम शाह, मीरा शाह और संजय विक्रम शाह के नाम से छपरा नगर निगम और सदर अंचल कार्यालय में खतियान दर्ज है. रामनगर स्टेट के मैनेजर वशिष्ठ तिवारी के अनुसार, वर्ष 2025 तक अंचल कार्यालय और नगर पालिका में नियमित रूप से रसीद भी कटती रही है.

कार्रवाई की मांग

रामनगर स्टेट प्रबंधन ने नगर निगम, जिला प्रशासन और राजस्व विभाग को आवेदन देकर अवैध डीड के आधार पर हुए सभी निर्माण कार्यों को ध्वस्त करने की मांग की है. साथ ही, सभी फर्जी दस्तावेजों को रद्द करने और दोषियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की भी गुहार लगायी गयी है.

एडीएम ने शुरू की जांच, मचा हड़कंप

जिलाधिकारी के निर्देश पर अपर समाहर्ता इंजीनियर मुकेश कुमार ने रामनगर स्टेट जमीन फर्जीवाड़े की जांच शुरू कर दी है. उन्होंने आवेदकों के कागजात, एक ही डीड नंबर पर बने दर्जनों दस्तावेज, दस्तावेजों पर किये गये हस्ताक्षर, खरीदने-बेचने वालों के नाम, दस्तावेज तैयार करने वाले कातिब, गवाहों और प्रक्रिया में शामिल कर्मियों की जांच शुरू कर दी है.

जांच में यह भी सामने आया है कि जमीन खरीद-बिक्री में वकील, डॉक्टर, सफेदपोश और भू-माफिया सक्रिय रहे हैं. फर्जी दस्तावेज तैयार कराने के लिए छपरा, चंपारण, बनारस सहित अन्य जिलों और राज्यों में भी संपर्क साधा गया था. यह भी खुलासा हुआ है कि कई फर्जी कागजात उन अभिलेखों के आधार पर तैयार किये गये हैं, जो रजिस्ट्री कार्यालय के अभिलेखागार से गायब हो चुके हैं.

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डिजिटाइजेशन में आयी तेजी

अभिलेखों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए डिजिटाइजेशन का कार्य भी तेजी से कराया जा रहा है. सभी अवर निबंधन कार्यालयों में वर्ष 1990 से अब तक तथा छपरा अभिलेखागार में 1968 तक के लगभग सभी जिल्दों का डिजिटाइजेशन हो चुका है. इसका मकसद है कि अभिलेख सुरक्षित रहें और किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ न हो.

पूर्व में भी फर्जी दस्तावेजों की सूचना या शिकायत मिलने पर जांच कर दोषियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. दिसंबर 2024 में वर्ष 1983, 1964 और 1934 के दस्तावेजों में छेड़छाड़ के मामलों में दोषी व्यक्तियों तथा तत्कालीन अभिलेखपाल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी.

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क्या बोले रजिस्ट्रार

रजिस्ट्रार गोपेश चौधरी ने कहा कि मैंने जुलाई 2023 में योगदान दिया और तब से इस कार्यालय को दुरुस्त करने में लगा हूं. जहां भी गड़बड़ी सामने आती है जिलाधिकारी को सूचित करते हुए कार्रवाई शुरू कर दी जाती है. जिलाधिकारी का सख्त आदेश है कि कोई भी गड़बड़ी करने वाले को बख्शना नहीं है. अभी जो भी कार्रवाई हो रही है उसी कड़ी में शामिल है.



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